प्रकृति एवं हाइबुन
हाइबुन संकलन
संपादक - डॉ. मिथिलेश दीक्षित
हाइबुन एक गद्य कविता है, इसके गद्य में पद्य के पुट रहते हैं । इसे यात्रा विवरण के रुप में लिखा जाता है । यात्रा संदर्भ में बाशो का कथन है कि - "हर दिन एक यात्रा है, और यात्रा ही घर है ।" हाइबुन का "गद्य" हाइकु का स्पष्टीकरण नहीं होता और इसमें उल्लेखित हाइकु गद्य की निरंतरता भी नहीं है । गद्य पाठ में प्रत्येक शब्द की गिनती गद्य कविता की तरह होनी चाहिए । स्तरीय हाइबुन गद्य पाठ को सीमित करता है, जैसे कि उत्तम हाइबुन में 20 से 180 शब्द एवं अधिकतम दो पैराग्राफ़ पर्याप्त हैं । इस लघु गद्य में कसावट आवश्यक है । हाइबुन में आमतौर पर केवल एक हाइकु सम्मिलित किया जाता है, जो गद्य के बाद होता है, गद्य के चरमोत्कर्ष के रूप में "हाइकु" अपनी सेवा प्रदान करते हुए हाइबुन का प्रतिनिधित्व करता है ।
गद्य और हाइकु दोनों के मिश्रण में रस ही महत्वपूर्ण है । गद्य को उस गहराई से जोड़ना चाहिए जिसके साथ हम हाइकु का अनुभव कर सकें । हाइबुन की महत्ता हाइकु को गद्य के अर्थ से सहज जोड़ना बहुत महत्वपूर्ण है । हाइबुन के लेखक को संवेदनशील होकर भी निरपेक्ष होना चाहिए अन्यथा यात्रा के स्थान पर यात्री के प्रधान हो उठने की संभावनाएं बढ़ जाएगी, तथा वह अभिव्यक्त यात्रा साहित्य हाइबुन न रहकर आत्म चरित्र या आत्म स्मरण बन सकता है । इस विधा के पीछे का उद्देश्य हाइबुन लेखक के रमणीय अनुभवों को हुबहू पाठक तक प्रेषित करना है । जिसके माध्यम से पाठक उस अनुभव को आत्मसात कर सके उसे अनुभव कर सके ।
जापानी हाइकु कवि बाशो ने इस विधा का प्रारंभ 1690 में किया । जुलाई 2014 में अयन प्रकाशन से प्रकाशित डॉ. सुधा गुप्ता जी की कृति 'सफर के छाले हैं' में पहली बार हिन्दी में उनके 37 हाइबुन प्रकाशन में आए हैं । अंजलि देवधर जी द्वारा 'journeys' (भारत का प्रथम हाइबुन संकलन) में 25 रचनाकारों के अंग्रेजी हाइबुन, वर्ष 2015 में 'journeys 2015' (द्वितीय हाइबुन संकलन), जिसमें 31 कवियों के 145 अंग्रेजी हाइबुन तथा वर्ष 2017 में 'journeys 2017' (तीसरा हाइबुन संकलन) प्रकाशन में आया था, जिसमें 29 कवियों के 133 अंग्रेजी हाइबुन प्रकाशित हुए थे । वर्ष 2014 में भारतीय कवि परेश तिवारी जी के 25 अंग्रेजी हाइबुन 'An inch of sky' में संग्रहित हुए हैं, वर्ष 2017 में 'Raindrops chasing Raindrops' में इनके 61 अंग्रेजी हाइबुन प्रकाशित हुए हैं । वर्ष 2019 में संपादक स्टीव हाॅज और परेश तिवारी जी के संपादन में 'रेड रिवर' नामक अंग्रेजी हाइबुन संकलन का प्रकाशन हुआ जिसमें 61 रचनाकारों के 102 अंग्रेजी हाइबुन संकलित हुए हैं । वर्ष 2021 जनवरी में 'हाइकु से हाइबुन प्रवाह' में (अविनाश बागड़े जी, इंदिरा किसलय जी एवं मेरे) संयुक्त प्रयास से हाइबुन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसमें 19 रचनाकारों के हाइबुन आए थे । वर्ष 2021 में ही पूनम मिश्रा पूर्णिमा जी का एक एकल हाइबुन संग्रह अविशा प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है, जिसमें उनके 21 हिन्दी हाइबुन संग्रहित हुए हैं । वर्ष 2021 जून में परम आदरणीय डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी के संयोजकत्व में विश्व पर्यावरण दिवस अवसर पर हाइबुन की संगोष्ठी का आयोजन किया गया था । इसप्रकार हिन्दी में हाइबुन स्थापित होने लगा है । इस बीच बड़े ही आनंद का विषय यह है कि शुभदा बुक्स प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इसी वर्ष फरवरी 2023 में डाॅ. मिथिलेश दीक्षित जी के संपादन से हिन्दी का प्रथम हाइबुन संकलन 'प्रकृति एवं हाइबुन' का प्रकाशन हुआ है, जिसमें अजय चरणम् जी, आनन्द प्रकाश शाक्य जी, अंजू श्रीवास्तव निगम जी, इन्दिरा किसलय जी, डॉ. कल्पना दुबे जी, कनक हरलालका जी, निहाल चन्द्र शिवहरे जी, नीना छिब्बर जी, प्रदीप कुमार (स्वयं), पुष्पा सिंघी जी, डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी, डॉ. रवीन्द्र प्रभात जी, डॉ. लवलेश दत्त जी, वर्षा अग्रवाल जी, सरस दरबारी जी, डॉ. सुषमा सिंह जी, डॉ. सुकेश शर्मा जी, डॉ. सुभाषिनी शर्मा जी एवं डॉ. सुरंगमा यादव जी के नामानुक्रम से 19 रचनाकारों के 72 उत्कृष्ट हाइबुन संग्रहण हुए हैं । निश्चय ही यह एक श्लाघनीय कार्य है, इस कार्य की जितनी भी प्रशंसा करें वह कम होगी । इस ऐतिहासिक महनीय कार्य हेतु आ. दीदी मिथिलेश दीक्षित जी को तथा संकलन में सम्मिलित सभी रचनाकारों को अनेकानेक शुभकामनाएं व हार्दिक बधाइयाँ ।
~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'
संपादक : हाइकु मञ्जूषा
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