*महान हाइकु कवयित्री स्व. डॉ. सुधा गुप्ता जी*
स्मृति के वन
दिवंगत सुधा जी
श्रद्धा सुमन ।
रही न दीदी
भाई के पास अब
शेष हैं स्मृति ।
स्नेहिल सुधा
हाइकु का संसार
धनाढ्य हुआ ।
~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'
भाव लेखनी
चाँद का कैनवास
सुधा के चित्र ।
प्रकृति मित्र
हाइकु के विन्यास
सुधा के चित्र ।
सुधा कृतित्व
देती है श्रद्धाजंलि
मृत्यु अटल ।
~ सुशील शर्मा
दुखद घड़ी
विनम्र श्रद्धांजलि
भावों से भरी ।
मन क्रंदन
सुधाजी को हमारा
कोटि वंदन ।
उगता चांद
तारों के घराने में
गुम हो गया ।
मृत्यु अटल
हुआ सुधा के बिना
सूना पटल ।
स्मृतियां शेष
हाइकु रचनाएं
लिखी विशेष ।
~ सुनीता दीक्षित 'श्यामा'
दीदी के खत
मेरी डायरी में ही
याद आयेगी ।
रो नहीं पाया
शोक समाचार पा
आंसू नैन में ।
नभ से टूटा
चमकीला सितारा
मन तो रोया ।
मेरा नमन
हे महा आत्म प्राण
विदग्ध मन ।
~ देवेन्द्र नारायण दास
ये मोमबत्ती
लेखन अविरत
याद उनकी ।
सुरभिमय
हाइकु सा जीवन
संचित धन ।
श्रद्धा सुमन
सुधा गुप्ता सृजन
व्यथित मन ।
द्रवित मन
करते है मनन
सुधा सृजन ।
लिखे हाइकु
शब्द शब्द संजोय
लो थमे भाव ।
स्मृति ही शेष
बात यह विशेष
सुधा सृजन ।
~ अविनाश बागड़े
स्मृतियाँ शेष
हाइकु महारानी
श्रद्धा सुमन ।
सुधा बहन
गागर में सागर
हाइकु भरे ।
~ पुरोहित गीता
आशीष चाह
मन में रह गई
आप जो नहीं ।
दर्द गहरा
हाइकु वाणी संग
आप विलुप्त ।
यादें है शेष
साहित्य परिचय
डाॅ. सुधा गुप्ता ।
~ कुन्दन पाटिल
अम्मा की छवि
सुधा दीदी में दिखी
गर्दन झुकी ।
~ आर. बी. अग्रवाल
शब्दों की याद
अब है मरीचिका
बुझे न प्यास ।
~ विवेक कवीश्वर
भीगे मन से
श्रद्धांजलि अर्पित
कठिन घड़ी ।
आत्मा की शांति
दिवंगत के प्रति
कृतघ्न धरा ।
हाइकु सूना
मुस्कुराता चेहरा
स्मृतियां शेष ।
~ पूनम भू
दूर देश को
सुधा कलश ले
विलीन आत्मा ।
मन-मंदिर
यादों में विराजती
नमन उन्हें ।
शब्द मौन हैं
देते हैं श्रद्धांजलि
भर अंजुलि ।
~ आभा दवे
साहित्य को ही
प्रेरणा स्रोत बना
जीवन बीता ।
साधना लीन
उत्कृष्ट व्यक्तित्व हो
जीवन जिया ।
सहज बन
मोह ममता तज
प्रयाण किया ।
मेरा नमन
सुधा नाम विभूति
ज्ञानदीप को ।
~ चन्द्र प्रभा
छीन ली "सुधा"
देवों की शांत हुई
फिर से क्षुधा ।
गयी है "सुधा"
फिर देवों के पास
छोड़ वसुधा ।
यही नियति
देवलोक में ही है
"सुधा" का स्थान ।
~ अलंकार आच्छा
लो रिक्त हुआ !
अमृत से भरा वो –
‘सुधा’ कलश ।
क्या कहा – अस्त ?
न...न... कवि रहते
सदा अमर !
सदा ही दिया
ज्ञान उन्होंने, आज....
खालीपन भी !
कैसे संभव?
सुधा स्वयं ही लीन
पंचतत्त्व में ।
बड़ा कठिन!
ये बताना – ‘क्या खोया’?
‘उन्हें’ खोकर ।
जाना तो तय
फिर भी घबराता
मन बाँवरा ।
रह...रह....के
दिल को कचोटती
उनकी यादें !
शाख से झड़ा
सर्वश्रेष्ठ गुलाब
उजड़ा बाग ।
बिन बताए
चले वे चुपचाप..
कहीं मिलेंगे ?
अगली यात्रा!
अपने सूरज को
(वे)ढूँढने चली..
कहे स्वयं को
प्रबुद्ध होकर भी
‘मैं निर्गुनिया’ !
~ डॉ. पूर्वा शर्मा
चन्दन सुधा
हाइकु अमृत पी
अमर हुईं ।
कभी न बुझे
हाइकु ज्ञान ज्योति
सुधा से जली ।
कोमल मन
भावों की निर्झणनी
था तव रूप ।
परम आत्मा
तुम्हारी प्रिय दीदी
पाए विश्राम ।
~ पुष्पा मेहरा
श्रद्धा सुमन
विनम्र श्रद्धांजलि
भावुक मन ।
~ अरुण आशरी
धरा को छोड़
स्वर्ग के पथ पर
निस्पृह आत्मा ।
सजल नेत्र
सगे और संबंधी
नेह के बंध ।
सुधा सागर
ससक्त हस्ताक्षर
हाइकु रंग ।
~ मनीष कुमार श्रीवास्तव
स्मृति है शेष
बाकी सब निःशेष
सुधा विशेष ।
जीवन जाना
होता है अनिवार्य
यादें हैं खास ।
स्मृतियां अब
करेंगी परेशान
परिजनों को ।
कैसे बनता
भावना का समुद्र
आंखें सजल ।
~ सतीश राठी
सुधा कलश
सिंचित व पुष्पित
हाइकु वन ।
सजल नैन
मार्मिक वर्तमान
द्रवित मन ।
सुधा अमृत
हाइकु कलाकृति
अमर हुई ।
~ प्रमोदिनी शर्मा
सुधा पहुंचीं
सुधा सागर पास
एक होने को ।
सदा रहूंगी
तुम्हारे आसपास
हाइकु बन ।
माथे चंदन
हृदय सुधा रस
दीदी नमन ।
~ अजय चरणम्
सुधा ही सुधा
जीवन से बरसा
हाइकु रूप ।
स्वर्गारोहण
सुधा कलश सम
जीवन धन्य ।
उमड़ी यादें
बरसता दुलार
सुधा अपार ।
रचे हाइकु
मानवता के हेतु
अमृत रूप ।
~ गंगा पाण्डेय "भावुक"
सुधा जी गईं
इस लोक को छोड़ा
हुईं विजयी ।
श्रद्धा - सुमन
सादर समर्पित
दु:खी है मन ।
सदा जीवंत
भव्य सृजनालोक
कभी न अंत ।
स्मृतियाँ शेष
हाइकु विस्तारित
हुए विशेष ।
सार्थक नाम
इतिहास बना है
बोलेगा काम ।
यश धवल
हिमवंत सदृश
रहे अचल ।
~ डॉ० विष्णु शास्त्री ' सरल '
अनभिज्ञ हूँ
सुधा का अस्तित्व
जान न पाई ।
जान पाई मैं
पहचान तुम्हारी
जाने के बाद ।
भाग्यहीन मैं
श्रद्धा अर्पण कर
करूँ नमन ।
~ रुबी दास "अरु"
दीप कलश
एक बार खो गया
अब न मिले ।
वह रोशनी
हाइकू मे रहेगी
बन भविष्य ।
याद बनी है
हाइकु में रहेगी
एक रोशनी ।
~ कश्मीरी लाल चावला
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