हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

~ हिन्दी की महान साध्वी हाइकु कवयित्री स्वर्गीय डॉ. सुधा गुप्ता जी को समर्पित श्रद्धांजलि के हाइकु ~

 *महान हाइकु कवयित्री स्व. डॉ. सुधा गुप्ता जी*

डॉ. सुधा गुप्ता जी
18 मई 1934 :: 18 नवम्बर 2023


🙏 *श्रद्धांजलि के हाइकु* 🙏

स्मृति के वन

दिवंगत सुधा जी

श्रद्धा सुमन ।


रही न दीदी

भाई के पास अब

शेष हैं स्मृति ।


स्नेहिल सुधा 

हाइकु का संसार

धनाढ्य हुआ ।


~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'


भाव लेखनी

चाँद का कैनवास

सुधा के चित्र ।


प्रकृति मित्र

हाइकु के विन्यास

सुधा के चित्र ।


सुधा कृतित्व

देती है श्रद्धाजंलि

मृत्यु अटल ।


~ सुशील शर्मा


दुखद घड़ी 

विनम्र श्रद्धांजलि

भावों से भरी ।


मन क्रंदन

सुधाजी को हमारा

कोटि वंदन ।


उगता चांद

तारों के घराने में

गुम हो गया ।


मृत्यु अटल

हुआ सुधा के बिना

सूना पटल ।


स्मृतियां शेष

हाइकु रचनाएं

लिखी विशेष ।


~ सुनीता दीक्षित 'श्यामा'


दीदी के खत

मेरी डायरी में ही

याद आयेगी ।


रो नहीं पाया 

शोक समाचार पा

आंसू नैन में ।


नभ से टूटा

चमकीला सितारा

मन तो रोया ।


मेरा नमन

हे महा आत्म प्राण

विदग्ध मन ।


~ देवेन्द्र नारायण दास


ये मोमबत्ती

लेखन अविरत

याद उनकी ।


सुरभिमय

हाइकु सा जीवन

संचित धन ।


श्रद्धा सुमन

सुधा गुप्ता सृजन

व्यथित मन ।


द्रवित मन

करते है मनन

सुधा सृजन ।


लिखे हाइकु

शब्द शब्द संजोय

लो थमे भाव ।


स्मृति ही शेष

बात यह विशेष

सुधा सृजन ।


~ अविनाश बागड़े 


स्मृतियाँ शेष

हाइकु महारानी

श्रद्धा सुमन ।


सुधा बहन

गागर में सागर

हाइकु भरे ।


~ पुरोहित गीता


आशीष चाह

मन में रह गई 

आप जो नहीं ।


दर्द गहरा 

हाइकु वाणी संग 

आप विलुप्त ।


यादें है शेष 

साहित्य परिचय 

डाॅ. सुधा गुप्ता ।


~ कुन्दन पाटिल


अम्मा की छवि

सुधा दीदी में दिखी

गर्दन झुकी ।


~ आर. बी. अग्रवाल


शब्दों की याद

अब है मरीचिका

बुझे न प्यास ।


~ विवेक कवीश्वर


भीगे मन से

श्रद्धांजलि अर्पित

कठिन घड़ी ।

                          

आत्मा की शांति

दिवंगत के प्रति

कृतघ्न धरा ।


हाइकु सूना

मुस्कुराता चेहरा

स्मृतियां शेष ।


~ पूनम भू


दूर देश को

सुधा कलश ले

विलीन आत्मा । 


मन-मंदिर 

यादों में विराजती

नमन उन्हें ।


शब्द मौन हैं 

देते हैं श्रद्धांजलि

भर अंजुलि । 


~ आभा दवे


साहित्य को ही

प्रेरणा स्रोत बना 

जीवन बीता ।


साधना लीन

उत्कृष्ट व्यक्तित्व हो 

जीवन जिया ।


सहज बन

मोह ममता तज

प्रयाण किया ।


मेरा नमन

सुधा नाम विभूति

ज्ञानदीप को ।


~ चन्द्र प्रभा


छीन ली "सुधा"

देवों की शांत हुई

फिर से क्षुधा ।


गयी है "सुधा"

फिर देवों के पास

छोड़ वसुधा ।


यही नियति

देवलोक में ही है

"सुधा" का स्थान ।


~ अलंकार आच्छा


लो रिक्त हुआ !

अमृत से भरा वो –

‘सुधा’ कलश ।

 

क्या कहा – अस्त ?

न...न... कवि रहते 

सदा अमर ! 


सदा ही दिया 

ज्ञान उन्होंने, आज....  

खालीपन भी !


कैसे संभव? 

सुधा स्वयं ही लीन 

पंचतत्त्व में । 


बड़ा कठिन! 

ये बताना – ‘क्या खोया’? 

‘उन्हें’ खोकर ।  


जाना तो तय 

फिर भी घबराता 

मन बाँवरा ।  


रह...रह....के 

दिल को कचोटती 

उनकी यादें ! 


शाख से झड़ा  

सर्वश्रेष्ठ गुलाब  

उजड़ा बाग । 


बिन बताए 

चले वे चुपचाप..

कहीं मिलेंगे ? 


अगली यात्रा!

अपने सूरज को

(वे)ढूँढने चली..


कहे स्वयं को 

प्रबुद्ध होकर भी 

‘मैं निर्गुनिया’ ! 


~ डॉ. पूर्वा शर्मा


चन्दन सुधा 

हाइकु अमृत पी 

अमर हुईं ।


कभी न बुझे 

हाइकु ज्ञान ज्योति 

सुधा से जली ।


कोमल मन 

भावों की निर्झणनी

था तव रूप ।


परम आत्मा 

तुम्हारी प्रिय दीदी 

पाए विश्राम ।


~ पुष्पा मेहरा


श्रद्धा सुमन 

विनम्र श्रद्धांजलि 

भावुक मन ।


~ अरुण आशरी 


धरा को छोड़

स्वर्ग के पथ पर

निस्पृह आत्मा ।


सजल नेत्र

सगे और संबंधी

नेह के बंध ।


सुधा सागर

ससक्त हस्ताक्षर

हाइकु रंग ।


~ मनीष कुमार श्रीवास्तव


स्मृति है शेष

बाकी सब निःशेष

सुधा विशेष ।


जीवन जाना

होता है अनिवार्य

यादें हैं खास ।


स्मृतियां अब

करेंगी परेशान

परिजनों को ।


कैसे बनता

भावना का समुद्र

आंखें सजल ।


~ सतीश राठी


सुधा कलश

सिंचित व पुष्पित 

हाइकु वन ।


सजल नैन 

मार्मिक वर्तमान

द्रवित मन ।


सुधा अमृत 

हाइकु कलाकृति

अमर हुई ।


~ प्रमोदिनी शर्मा


सुधा पहुंचीं

सुधा सागर पास

एक होने को ।


सदा रहूंगी

तुम्हारे आसपास

हाइकु बन ।


माथे चंदन

हृदय सुधा रस

दीदी नमन ।


~ अजय चरणम्


सुधा ही सुधा

जीवन से बरसा

हाइकु रूप ।


स्वर्गारोहण

सुधा कलश सम

जीवन धन्य ।


उमड़ी यादें

बरसता दुलार

सुधा अपार ।


रचे हाइकु

मानवता के हेतु

अमृत रूप ।


~ गंगा पाण्डेय "भावुक"


सुधा जी गईं 

इस लोक को छोड़ा 

हुईं विजयी ।


श्रद्धा - सुमन 

सादर समर्पित 

दु:खी है मन ।


सदा जीवंत 

भव्य सृजनालोक 

कभी न अंत ।


स्मृतियाँ शेष

हाइकु विस्तारित 

हुए विशेष ।


सार्थक नाम 

इतिहास बना है

बोलेगा काम ।


यश धवल 

हिमवंत सदृश 

रहे अचल ।


~ डॉ० विष्णु शास्त्री ' सरल '


अनभिज्ञ हूँ

सुधा का अस्तित्व 

जान न पाई ।


जान पाई मैं

पहचान तुम्हारी

जाने के बाद ।


भाग्यहीन मैं

श्रद्धा अर्पण कर

करूँ नमन ।


~ रुबी दास "अरु"


दीप कलश

एक बार खो गया

अब न मिले ।


वह रोशनी 

हाइकू मे रहेगी 

बन भविष्य ।


याद बनी है

हाइकु में रहेगी 

एक रोशनी ।


~ कश्मीरी लाल चावला


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