~ माया वसन्दानी जी के सिंधी हाइकु ~
माया वसन्दानी जी
सिंधी हाइकु
1.
ततलु सिजु
टुॿंदो समुंड्र में
सीतलु थींदो ।
2.
राति जी राणी
सिज सां छो लॼाए
मुंहुं लिकाए ।
~ माया वसन्दानी
जयपुर
हिन्दी अनुवाद
1.
तपा सूरज
सिन्धु में डूब लगाए
शीतल होवे ।
2.
रात की रानी
सूरज से क्यों शर्माए
मुंहुं छिपाए ।
~ माया वसन्दानी
जयपुर
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