हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

मैनपाट - यात्रा काव्य हाइकु : प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

मैनपाट - यात्रा हाइकु 


बड़ा अचंभा

मैनपाट में बहे

पानी उलटा ।


प्रकृति गर्भ 

उबल रहा यहाँ  

तपता पानी । 


झूले समान

जलजली जमीन

दोलायमान ।


बुद्ध विहार

तिब्बतियों की शैली

खास अंदाज ।


सरई पेड़ 

सघन वन बीच

बुलाएँ मेघ ।


पानी सस्वर

कल-कल करते

बहें निर्झर ।


धातु से स्वर

ठिन-ठिन बोलते

यहाँ पत्थर ।


शीत कोहरा

इठलाती प्रकृति 

ओढ़ दुशाला ।


पाट प्रदेश  

मेरा छत्तीसगढ़ 

बड़ा विशेष ।


                □   प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

                              (छत्तीसगढ़)

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