हाइकुकार
अमन चाँदपुरी
हाइकु
कच्चे मकान
गर्मी में सुख देते
ए सी समान।
खुला गगन
छाया इन्द्रधनुष
हँसती धरा ।
सेल्फी का दौर
हर कोई है तन्हा
कौन अपना ?
जाये ज्यों जान
छाया भी छोड़े साथ
काहे का मान ।
आँखें ज्यों रोती
दर्पण पे उगते
आँसू के मोती ।
टूट न जाए
सँभाल के रखना
रिश्तों का काँच ।
भोर की नींद
करती है लक्ष्य की
मिट्टी पलीद ।
वही सफल
जिसने सँवारा है
आज व कल ।
सूर्य के ठाठ
देख के जला चाँद
भेड़े कपाट ।
देश से प्रेम
सीमा तक ले गई
माँ के लाल को।
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