हाइकुकार
प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
हाइकु
01.
सूरज उगा
अंधेरे का साम्राज्य
काँपने लगा ।
02.
एक बारिश
कम कर न सकी
धरा तपिश ।
03.
बूँदें बरसीं
ओढ़ हरी चूनर
धरा हरषी ।
04.
मेघ से प्रीत
मेंढ़क सुना रहे
पावस गीत ।
05.
मुस्काये पत्ते
बारिश की फुहार
धुले चेहरे ।
06.
वृक्ष के कक्ष
करें नीड़ सृजन
पंछी हैं दक्ष ।
07.
मेघ में फूल
सात रंगों का खिला
इन्द्रधनुष ।
08.
पावस मास
पेड़ लगाओ मनु
प्रकृति आस ।
09.
पेड़ों की आह
संभलना कठिन
पृथ्वी तवाह ।
10.
खिले सुमन
धरती के आंगन
फैली सुगंध ।
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