हाइकु कवयित्री
डॉ. मीता अग्रवाल
हाइकु
बंधन कच्चे
धागों का जो टूटे ना
मरते दम ।
भाई बहना
मन भाए गहना
राखी पहना ।
रेशम डोर
बाँधता है मन को
देके वचन ।
ओ मेरे भैया
धर्म तुम निभाना
रक्षाबंधन ।
आया सावन
यादों मे बचपन
छूटा आँगन ।
बरसी बूँदें
याद आए बाबुल
घर आँगन ।
भोला मनाए
काँवर उठा चल
चलो शिवाला ।
बहार आई
सावन हरषाया
खुशियाँ छाई ।
बरसा पानी
प्रकृति नाच उठी
सावन छाया ।
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