हाइकु कवयित्री
अल्पा जीतेश तन्ना
हाइकु
फ़लक तक
ले जाते यह रास्ते
जो मुस्कुराते ।
रंग रोशनी
आकाश से उतरी
जल की परी ।
वृक्ष के पर्ण
नभ - जल को स्पर्श
करे सहर्ष ।
पी ले झरा सा
नैनों में भर कर
जीवन रस ।
मन हर्षित
कुदरती ऐश्वर्य
दृश्य सरस ।
गहराइयाँ
प्रीत की ऊँचाइयाँ
छू लो तो जरा ।
मन मंदिर
तुमको ही बसाया
चाहो तो जरा ।
अक्स रूह का
स्वरूप सादगी का
चूमो तो जरा ।
मधुर स्वर
सृष्टि के कण कण
झूमो तो जरा ।
स्नेह सरीत
प्रतिबिम्बित प्रीत
भिगो तो जरा ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें