हाइकुकार
अशेष वाजपेयी
हाइकु
1.
दुख सहा है
प्रवाह में बहा है
सुखी रहा है ।
2.
निखार रूप
कर्म से जीवन का
अनोखी धूप ।
3.
जीवन-मृत्यु
एक दूसरे के हैं
पूरक सत्य ।
4.
नेह अपार
देना है जीवन को
नया विस्तार ।
5.
बौराया वन
वसंत के आने से
हर्षाया मन ।
6.
सूना दर्पण
जैसे भी चाहो तुम
बिम्ब खिलाओ ।
7.
सीमायें तोड़
जी रहा जो जीवन
सुखी वही है ।
8.
कुछ भी कहो
हारना सभी को है
मृत्यु के आगे ।
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□ अशेष बाजपेयी
रायबरेली (उत्तरप्रदेश)
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