हाइकु कवयित्री
रीमा दीवान चड्ढा
हाइकु
1.
प्रकृति बोली
ऋतु ये रूपवाली
है मतवाली ।
2 .
ये अनुबंध
मौसमी फूल संग
मन का बंध ।
3.
गगन भरे
धरा के मन देखो
प्रीत के रंग ।
4.
पुलकित है
वसुंधरा का तन
मन आँगन ।
5.
ह्रदय बजे
मृदुल मधुर सी
मीठी सी धुन ।
6.
पवन कहे
सुन रे सखी री तू
ये रुनझुन ।
7.
मन उमंग
बजते चहुँ ओर
ढोल मृदंग ।
8.
पैजनी बजा
थिरकी है ये धरा
देह को सजा ।
9.
सिंगार देख
लाज से भर गई
नारी सी धरा ।
10.
हटा कर ये
हौले हँसी है जब
लाज घूँघट ।
11.
सूर्य से प्रीत
बरसों है पुरानी
धरा दीवानी ।
12.
आया बसंत
ऋतु चक्र ये बढ़ा
वही कहानी ।
~ • ~
□ रीमा दीवान चड्ढा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें