हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

हाइकु : डॉ. रेखा जैन

हाइकु कवयित्री 

डॉ. रेखा जैन


हाइकु 


बन के पंछी
उड़ता गगन में
बावरा मन ।

है प्रश्न मौन
चिन्तन का विषय
ईश्वर कौन ।

नाजुक नार
उठाये न उठता
यौवन भार ।

बकरी का गुण
खाती कीकर काँटे
दूध मधुर ।

अन्ध विश्वास
नाली में बहा दूध
बच्चे भूखे हैं ।

दिवारें दिल
उठती पहले हैं
धरा बाद में ।

कपड़ा नहीं
ध्वज है मेरी शान
तीन रंग में ।

जब जागते
होता तभी सवेरा
कहते ज्ञानी ।

□ डॉ. रेखा जैन

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