रंजना श्रीवास्तव
हाइकु
कलि में नाश
बल वीर्य का ह्रास
ओज निकास ।
लुप्त सद्ग्रन्थ
आस्था बनी अनास्था
कलि व्यवस्था ।
हिंसा संघर्ष
युद्ध स्थिति सर्वत्र
कलियुगीन ।
अधिक वर्षा
जलप्लावन बढ़ा
ताण्डव मचा ।
बारह रवि
घोर कलि की छवि
ताप असह्य ।
भीषण वर्षा
जलमग्न धरती
काल मायावी ।
संगम वेला
युग परिवर्तन
यौगिक रेला ।
तीव्र मुमुक्षा
दसवाँ अवतार
कल्कि प्रतीक्षा ।
धवल वाजि
कल्कि आयुध राजि
सन्धि का काल ।
वैष्णव तन्द्रा
जागृत योग निद्रा
पुण्य सत्कर्मी
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