हाइकु कवयित्री
डॉ. सुधा गुप्ता
हाइकु
कुनमुनाया
बादल के कंधे पै
उनींदा चाँद ।
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चिड़िया रानी
चार कनी बाजरा
दो घूँट पानी ।
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झूमता मन
सपनों की फ़सल
पकी खड़ी है ।
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बरसात में
माटी के खिलौनों का
भरोसा ही क्या ?
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नाचती हवा
डफली बजाता है
प्रेमी महुआ ।
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साँझ का तारा
नीले मज़ार पर
अकेला फूल ।
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फटती गई
अँधेरे की चादर
चाँद उघरा ।
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ढंग अनूप
बरगद के नीचे
सुस्ताती धूप ।
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साथ जो छूटा
दुःख पहाड़ टूटा
जीवन रूठा ।
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भटक गई
यादों के बीहड़ में
वहीं बसी हूँ ।
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