हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

रविवार, 11 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री स्व. उर्मिला कौल जी के उत्कृष्ट हाइकु

हाइकु कवयित्री 

उर्मिला कौल 

हाइकु 


पियरी ओढ़ 
मुसकाई धरती 
हे ऋतुराज !
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बगिया छूटी 
भूली-तितली-रही
ढूँढती फूल ।
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फुटबॉल को 
किसने किक मारी 
अः चाँद टंगा ।
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ओढ़ सो गयी 
शरद की चाँदनी 
भोली धरती ।
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ठूँठ बाहों में 
फंसा सूरज देख 
हंसी कोंपलें ।
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एकम चांद 
टूटी चूड़ी का एक
टुकड़ा अरे !
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कौन ले गया 
पोटली में बाँध के 
भोला सा चाँद ।
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डूबता दिन 
हारा मन देखता 
थका सूरज ।
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सिसकी हवा 
उड़ चल रे पंछी 
नीड़ पराया ।
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बजता नहीं 
देह का झुनझुना
बजाऊँ कैसे ।
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लगा था मुझे 
दुनिया ठहरेगी 
कहाँ ठहरी ? 
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सूना ललाट 
हिमालय पूछेगा 
बिंदिया कहाँ ?
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□   उर्मिला क़ौल 

दक्षिण रमना, आरा (बिहार)

पिन - 802301

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