🎋 हाइकु मंच छत्तीसगढ़ 🎋
समसामयिक हाइकु संचयनिका
अगस्त 2019 के श्रेष्ठ हाइकु
~ • ~
बूँदों का शोर
घटा है घनघोर
भीगती भोर ।
□ पूर्णिमा सरोज
गरजे मेघ
दमकती दामिनी
हिय में हूक ।
□ धनेश्वरी देवांगन धरा
बिजली गिरी
झंकृत कर गयी
दिल के तार ।
□ क्रान्ति
गाती कोकिला
नाचती गिलहरी
अंबुआ डाली ।
□ सुलोचना सिंह
बादल संग
बरसने की ठानी
वर्षा दीवानी ।
□ पूर्णिमा सरोज
अबोध ईर्ष्या
नित बढ़ाये पाप
करें संताप ।
□ रंजन कुमार सोनी
प्यासी धरती
सावन बीत चला
कैसे हो खेती ।
□ शशि मित्तल
कोयल कूके
आम्र दरख्त झूला
मन चहके ।
□ स्वाति गुप्ता "नीरव"
बरसात में
उफनती नदियाँ
टूटा घरौंदा ।
□ रविबाला ठाकुर
खुद सिमटा
बाकी सब बिखरा
जीवन मुक्ति ।
□ मनीभाई "नवरत्न"
दीपक जले
गम के अंधकार
पल में हरे ।
□ क्रांति
पानी बरसा
पौधे में आई जान
मुस्काई धरा ।
□ स्वाति गुप्ता "नीरव"
सुहानी शाम
महकती फिजायें
वाह आराम ।
□ रंजन कुमार सोनी
काली परत
खोखली हुई भूमि
बस्ती उजड़ी ।
□ स्वाति गुप्ता "नीरव"
जलता देश
हिटलर का राज
केवल चुप्पी ।
डरे कपोत
सहमे परवाज
घात में बाज ।
क्यों यहाँ शोर
जंगल में मंगल
नाचता मोर ।
□ सुनील गुप्ता
कैसी बदरी
बदलती रहती
लोगों के जैसे ।
□ पूनम दूबे
जीवन यात्रा
वक़्त की चाक पर
दिन व रात ।
□ सुलोचना सिंह
~~~~~~~ •◇• ~~~~~~~
~~~ • ~~~
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें