हाइकुकार
सूर्यनारायण गुप्त "सूर्य"
हाइकु
1.
धूप का जाल
फैला गया धरा पे
लाल गुलाल ।
2.
दाेस्ती का फूल
खिलने से पहले
हाे गया शूल ।
3.
उठी न डोली
भर सका न बाप
दूल्हे की झोली ।
4.
मेरे समीप
दूर तक फैले हैं
पीड़ा के द्वीप ।
5.
दर्द के टीले
जीवन पथ पर
बिखरे मिले।
6.
बेला महका
हवा के झौंकाे संग
मन बहका ।
7.
बाहें पसारे
हरी-भरी घाटियां
हमें पुकारें ।
8.
इन्द्रधनुष
आसमान में देख
बच्चे हैं खुश ।
9.
नदी का कूल
हरे-भरे बाग में
खिलें हैं फूल ।
10.
चुनावी दाँव
रेत की नदी में है
वादों की नाव।
□ सूर्यनारायण गुप्त "सूर्य"
पथरहट (गाैरीबाजार)
जिला-देवरिया उ0प्र0
पिन - 274202
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