हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शनिवार, 10 अगस्त 2019

हाइकुकार सूर्यनारायण गुप्त "सूर्य" जी के हाइकु

हाइकुकार

सूर्यनारायण गुप्त "सूर्य"

हाइकु


1. 
धूप का जाल
फैला गया धरा पे
लाल गुलाल ।
   
2.
दाेस्ती का फूल 
खिलने से पहले
हाे गया शूल ।

3.
उठी न डोली
भर सका न बाप
दूल्हे की झोली । 

4.
मेरे समीप
दूर तक फैले हैं 
पीड़ा के द्वीप । 

5.
दर्द के टीले
जीवन पथ पर
बिखरे मिले। 

6.
बेला महका
हवा के झौंकाे संग
मन बहका । 

7. 
बाहें पसारे
हरी-भरी घाटियां 
हमें पुकारें । 

8.
इन्द्रधनुष
आसमान में देख
बच्चे हैं खुश ।
         
         9.        
नदी का कूल 
हरे-भरे बाग में 
खिलें हैं फूल ।

10.
चुनावी दाँव 
रेत की नदी में है 
वादों की नाव। 

□  सूर्यनारायण गुप्त "सूर्य"
पथरहट (गाैरीबाजार) 
जिला-देवरिया उ0प्र0 
पिन - 274202

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