हाइकु कवयित्री
निर्मला पांडेय
हाइकु
प्रातः उजास
देदीप्य है प्रकाश
अर्काय नमः ।
बरखा बूंदें
टपके टप टप
स्वर लहरी ।
मेघा गरजे
घनन घनन से
लाएँ बरखा ।
ये वृद्धावस्था
कष्ट और झमेला
हो प्रभु ध्यान ।
दुष्ट प्रवृत्ति
सदा ही दुखदायी
रहें सचेत ।
पावस ऋतु
हरितिमा प्रकृति
मनमोहक ।
बदरा छाए
घनघोर घटा सी
घना अंधेरा ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें