हाइकु कवयित्री
क्रांति
हाइकु
चंद दूरियां
मिटा नहीं सकते
गहरा प्रेम ।
प्रीत जगाए
बारिश की फुहार
रोग लगाए ।
बहका मन
दिल के आंगन में
खिला सुमन ।
मिलती नहीं
समुद्र में मोतियां
किनारों पर ।
मछली रानी
खाती कीड़े मकोड़े
जीवन पानी ।
चाहत मेरी
उडूं आसमान में
बन परिंदा ।
नभ में छाया
घनघोर बादल
आया सावन।
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