हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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गुरुवार, 8 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री क्रांति जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

क्रांति 

हाइकु 


चंद दूरियां
मिटा नहीं सकते
गहरा प्रेम ।

प्रीत जगाए
बारिश की फुहार
रोग लगाए ।

बहका मन
दिल के आंगन में
खिला सुमन ।

मिलती नहीं
समुद्र में मोतियां
किनारों पर ।

मछली रानी
खाती कीड़े मकोड़े
जीवन पानी ।

चाहत मेरी
उडूं आसमान में 
बन परिंदा ।

नभ में छाया
घनघोर बादल
आया सावन।


□  क्रान्ति
सीतापुर, सरगुजा
(छत्तीसगढ़)

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