हाइकुकार
संतोष कुमार सिंह
हाइकु
【1】
बुझने लगे
ईर्ष्या भरी हवा से
आस्था के दीप ।
【2】
कर लो शोध
स्वर्ग से भी सुंदर
है माँ की गोद ।
【3】
नैनों ने कहा
पिताजी ने समझा
माँ तो चुप थी ।
【4】
काटा जो नींम
वृक्ष नहीं बावरे
मारा हकीम ।
【5】
सोचें शिलाएँ
अहल्या-सी तरेंगी
राम तो आएँ ।
【6】
है अनमोल
ममता मिले न माँ
सिक्कों से तोल ।
【7】
माँ हुई राख
फिर भी नहीं आया
कोख से जाया ।
【8】
उलझा सूत
संभाले न संभले
बिगड़ा पूत ।
【9】
प्रेम के धागे
टूटते चट-चट
स्वार्थ के आगे ।
【10】
सड़कें चौड़ी
दिल हुए हैं तंग
ईश्वर दंग ।
【11】
शान से जिए
लड़े हैं रातभर
तम से दिये ।
【12】
दो दिन रोया
जब मरा था बाप
कुत्ते को वर्षों ।
【13】
करे न चूक
हर लेती है प्राण
निकम्मी भूख ।
【14】
गन की गोली
छलनी करे तन
दिल को बोली ।
【15】
बोयें किसान
फसाद की फसलें
काटें वकील ।
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