हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शनिवार, 10 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री डॉ. सुरंगमा यादव जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

डॉ. सुरंगमा यादव 

हाइकु 


1.
कुहू के बोल
दादुर क्या समझें 
उनका मोल !

2.
तूने जो बोया
है काटने की बारी
अब क्यों रोया ।

3.
अंधी है दौड़
कैसे,कितना पा लूँ
मची है होड़ ।

4.
बड़े मकान 
शो पीस की तरह
सजे हैं रिश्ते ।

5.
मृत्यु अटल
आज नहीं तो कल 
व्यर्थ विकल ।

6.
छूटे जो प्राण
देह-धन हो गये
धूल समान ।

7.
पहुँचाएगी
दर्द की पगडंडी 
सुख के गाँव ।

8.
सिर पे ढोता
दिन भर श्रमिक 
तपता सूर्य ।

9.
नारी का मन
कविता का भावार्थ 
जाने भावुक ।

10.
काँटे भी अब
देते नहीं चुभन
अभ्यस्त हम ।

□  डॉ. सुरंगमा यादव

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