हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शनिवार, 10 अगस्त 2019

हाइकुकार अविनाश बागड़े जी के हाइकु


हाइकुकार 

अविनाश बागड़े

हाइकु 


ये सतरंगी 
इंद्रधनुषी छटा
गगन पटा ।

औषधि गुण
सुबह का समीर
ले तू भी सुन ।

हवा दुबकी 
अटकी हलक़ में 
साँसें सबकी ।

वो पीला पत्ता
कातर सी निगाहें 
खामोश पेड़ ।

होली के फाग
मधुर लोक राग
दूर बैराग । 

हर मन्नत 
रुकती यहीं पर
माँ है जन्नत ।

ये प्रेम गाथा
ओस कणों की कथा
रजनी व्यथा ।

चंदन जैसी
सुगंध बिखेरती
देश की माटी ।

निसर्ग रचा
वन पर्वत गुफा 
सैलानी नफा ।

बहे समीर
अदृश्य सी तस्वीर 
अपने तीर ।

□  अविनाश बागड़े

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