हाइकु कवयित्री
डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव
हाइकु
1.
बूंद समुद्र
रिश्ता बड़ा गहरा
किसने जाना ।
2.
अलस भोर
है कलरव गान
मन नादान ।
3.
बुझे चिराग
जलाओ उन्हें फिर
मिटे तिमिर ।
4.
मै भोर जगी
नदी किनारे खड़ी
मौन मुखर ।
5.
हार औ जीत
जीवन के दो पक्ष
भोर व शाम ।
6.
महका दिन
सूर्य रश्मियां फैलीं
चहकें पंछी ।
7.
रूई के फाहे
बिखरे हैं आकाश
जल की आस ।
8.
व्याकुल धरा
निहारे है अम्बर
नदियाँ प्यासी ।
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