हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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सोमवार, 26 अगस्त 2019

~ • ~ हाइकुकार सुरेंद्र बांसल जी के हाइकु ~ • ~

हाइकुकार 

सुरेंद्र बांसल

हाइकु 


नेह अनंत
यादों के बंधन में
आदि न अंत ।

उसका नेह
मन मरुस्थल में
बरसे मेह ।

पीड़ा है बांझ
जनती नहीं आंसू
यादों की सांझ ।

हाथ की रेखा
विस्मित हो पूछे
भाग्य को देखा ?

कैसा विधान
सत्य पथ पे कटे
दु:ख लगान ।

आत्म उड़ान
हर क़ैद से छूटो
यही निदान ।

ओ मन मीत
देह बालू की भीत
मन को जीत ।

भूख - बेकारी
ख़्वाब हुए दिव्यांग
हाय लाचारी ।

मुखर मौन
मन बैरंग पाती
बांचता कौन ?

ज्ञान - अज्ञान
सब दर्शन बोझा
गुम इंसान ।
~ • ~

□  सुरेंद्र बांसल

चंडीगढ़ (पंजाब)

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