हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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गुरुवार, 1 अगस्त 2019

हाइकु : ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

हाइकुकार 

ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

हाइकु 

उम्र बढी है
लौटा है बचपन
बूढ़ा है तन ।

खोई मस्तियाँ
बड़प्पन में मेरी
डूबी कश्तियाँ ।

हूँ पचपन
हरकत ऐसी है
ज्यों बचपन ।

मैँ भी हूँ जवाँ
उम्र घटती जाती
बढ़ती कहाँ ?

डूबता सूर्य
स्वागत करे चाँद
आ जा तू वर्ष ।

​मत्त फसलें
रच दें इतिहास
यादों के दिन
​​​नई सौगातें
बाँटता चला गया
नया था वर्ष ।
​क्षण ने बोई
दिन की जो फसलें
वर्ष ने काटी ।
​क्षण की आँधी
निगल गई वर्ष
यादों के साथ ।

​नहाए दिन
बन ठनके लाएँ
नया उत्कर्ष ।

​वर्ष के पृष्ठ
लिखेगा इतिहास
यादों का पेन ।

बुढ़ा गया है
सोलह का यौवन
आ जा सत्रह ।

यादों के बीज
समय की भूमि पे
रचे साहित्य ।

हाथों से रेत
फिसल गए दिन
यादों के बिन ।

वधू लगाए
हाथों पर मेहंदी
वर मुस्काए ।

मेहंदी रचे
मन की हथेली पे
खिले चेहरा ।

□ ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

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