हाइकुकार
देवेन्द्र नारायण दास
हाइकु
01.
कवि के गीत
सिहरन की हद
झिंझोड़ते हैं ।
02.
नल-बिजली
खेले आंख मिचौली
हंसी ठिठोली ।
03.
बैठे सियार
पहन शेर खाल
लगाए घात ।
04.
माटी चंदन
ह्रदय में नर्तन
नित वंदन ।
05.
गिरवी खेत
फूलमती चेहरा
भीगे नयन ।
06.
राष्ट्र हितैषी
दलीय सरकार
मृगतृष्णा है ।
07.
बोल कितने
बयान बदलेगा
हाथ में गीता
08.
सूखा अकाल
गांव से पलायन
जीने के लिए ।
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