हाइकु कवयित्री
नेहा यादव
हाइकु
1.
नीला गगन
सुकूं चादर ताने
सिमटा हुआ ।
2.
मेघ घुमड़
बरसे झर झर
बदरा संग ।
3.
सिहर ज़मीं
सुकूं आसमां को है
बूँद बूँद से ।
4.
घिरा ज़मीं पे
प्रेम बरखा संग
लुभाये जीया ।
5.
मन बेकली
राह निहारुँ तेरी
बन जोगन ।
6.
स्मृति तुम्हारी
मधुवन सुवास
है मलय सी ।
7.
पानी की बूँदें
मुझको मन भायी
इस सावन ।
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□ नेहा यादव
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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