हाइकुकार
डॉ. रामसनेही लाल शर्मा "यायावर"
हाइकु
1.
अब तो आओ
मन-यमुना तट
प्राण राधिके ।
2.
सुनो मितवा
हँसो मत इतना
रोना पड़ेगा ।
3.
पूरा कहा था
सुना भी, पर सत्य
रहा अधूरा ।
4.
पुकार रही
प्रिया मेरे जन्मों की
अंतर्वेदना ।
5.
बाँटता सुधा
विष पाता "निराला"
रचना धर्मी ।
6.
हर युग में
दी है अग्नि परीक्षा
सीता ने ही क्यों ?
7.
दुखी चंद्रमा
रात भर सिसका
हँसी चाँदनी ।
~ • ~
□ डाॅ. रामसनेही लाल शर्मा "यायावर"
तिलोकपुर, फीरोजाबाद (उ.प्र.)
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