हाइकु कवयित्री
रजनी गुप्ता "पूनम"
हाइकु
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उड़े विहग
गगन में स्वच्छंद
चुग्गा खोजते ।
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कातर पंछी
भेद गया शिकारी
आहत पंख ।
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चाँदनी रात
चकवा खग द्वय
प्रेम मगन ।
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आम बौराये
कोयल द्विज कूके
प्रफुल्ल मन ।
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सीमा से पार
नादान परिंदे ये
भेद न भाव ।
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सर्द मौसम
करता मजबूर
जगाता आस ।
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मौसम प्रिये
सरदी आगमन
रहतीं दूर ।
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खिला गुलाब
जीवन मकरंद
लगे गजब ।
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लाल कपोल
घुँघराली अलकें
चंचल बोल ।
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रक्त अधर
सरस रस मधु
नैनन वार ।
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