हाइकु कवयित्री
सुषमा अग्रवाल
हाइकु
--0--
पीली सरसों
पीली-पीली पतंग
बसंत संग ।
--0--
बौराया आम
गुंजित हों भँवरे
आया बसंत ।
--0--
बसंत आया
फागुन साथ लाया
रंगा है मन ।
--0--
पीली चूनर
ओढ़ धरा हर्षाए
बसंत भाए ।
--0--
वृक्षारोपण
धरा करे नर्तन
हर्षित मन ।
--0--
खेत सो गये
बारिश का कहर
किसान भूखा ।
--0--
धानी धरा ने
ओढ़ी श्वेत चादर
क्या हिम युग ।
--0--
बर्फाच्छादित
प्रकृति तार-तार
सब बेहाल ।
--0--
किसी का मज़ा
देखने मिले ओले
किसी की सजा़ ।
--0--
बर्फबारी से
हुई फसलें नाश
छिना निवाला ।
---00---
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें