हाइकुकार
कैलाश कल्ला
हाइकु
देख तस्वीर
छलक पड़े आँसू
स्मृति ही शेष ।
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पलते जीव
वर्षा, पौध जीवन
भानु ही बीज ।
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सिंधु में गिरा
लहरों संग आया
तट पे बच्चा ।
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पूनो की रात
लहरों संग नाचे
झील में चाँद
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पत्ता ही गिरा
लहर दे खबर
झील के तट ।
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वर्षा की बूँदें
करे धरा का स्पर्श
सौंधी खुशबू ।
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क्षितिज पर
अद्भुत सा नजारा
भानु का स्पर्श ।
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खेतों में नाचे
पंख फैला मयूर
वर्षा का स्पर्श ।
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शकून देती
सर्दी में करे स्पर्श
भानु किरण ।
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छुपी बकरी
झाड़ ही खाने लगी
बनी शिकार ।
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दे रहे छाँव
प्राणवायु के साथ
वृक्ष महान
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रखे संभाल
बुज़ुर्गों का तजुर्बा
देते संस्कार ।
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□ कैलाश कल्ला
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