हाइकुकार
जयप्रकाश मिश्र
हाइकु
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बेटी की शादी
हुई धूमधाम से
मकान बिका ।
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पिता लाचार
पुत्र आँख दिखाये
समय दोष ।
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पर्यावरण
पल- पल दूषित
प्रकृति क्षुब्ध ।
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पत्थर पर
उगा रहा है दूब
कोई पागल ।
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लम्बी प्रतीक्षा
कटते नहीं दिन
ठहरा पल ।
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प्रेम है रोग
मिलते हैं हृदय
जलते लोग ।
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दहेज़ कोढ़
फैल रहा तमाम
निर्धन चुप ।
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संस्कार रोते
नैतिकता सिमटी
मानव चुप ।
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बीमार पिता
पल-पल कराहे
पुत्र डाॅक्टर ।
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