हाइकु कवयित्री
सुधा शर्मा
हाइकु
हवा कहती
आया है रितुराज
कलियाँ खिली ।
पीताभ धरा
नवल चुनरिया
लपेट तन ।
बंसत दूत
अमरइया डाल
कुहुक करे ।
पलाशी मन
जग रही उमंग
जागी तरंग ।
मदिर लगी
वासंती पुरवाई
मन बौराई ।
अलि गुंजन
इठलाती कलियाँ
पँखुरी फैले ।
अमरईया
कनक कण सजे
रसाल फूल ।
गेंदिया धूप
पसारकर बाहें
खिलखिलाती ।
कण कण है
नव जीवन पाया
वसंत आया ।
अनंग तीर
बिंधते है हृदय
मौसम हँसा ।
□ सुधा शर्मा
राजिम, (छत्तीसगढ़)
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