हाइकु कवयित्री
रूबी दास
हाइकु
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नील दिगन्त
टेसू लगायें आग
दावानल सी ।
ताप दमका
रूक्षता चारों ओर
वैभवहीन ।
रक्तिम नभ
राई सेमर सुखी
उदास वन ।
फूल न खिले
बागवान उदास
बाट जोहता ।
तप्त आंगन
पथ भी शब्दहीन
सन्नाटा मय ।
चौपाये खोजें
आस्थाएं सुकून की
ठंडक जहाँ ।
आंगन सूना
कलरव बच्चों के
न दिखें कही ।
---0---
□ रूबी दास
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