हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

गुरुवार, 18 जून 2020

~ हाइकु कवयित्री शर्मिला चौहान जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री 

शर्मिला चौहान 

हाइकु 
---0---

मेघ बरसे
भीगी धरा गमके
प्रेम महके ।

बरसे पानी
नवांकुर फूटते
चूनर धानी ।

पेड़ लगाएँ
पाले सींचे बढ़ाएँ
धरा बचाएँ ।

जीवन भर
देते वायु भोजन
ऋणी है जन ।

जिंदगी चली
लेकर कई बलि
कमियां खली ।

वर्ष बीतेंगे
अपनों से दूरियां
दिल रीतेंगे  ।

दुनिया सारी
मृगतृष्णा सी ढूंढे
राह निराली ।

मन की प्यास 
दिन गिना करता
शुभ की आस ।

परीक्षा घड़ी
जिंदगी सहमी सी
व्यथित खड़ी ।
---0---

□ शर्मिला चौहान

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