हाइकुकार
ओ. पी. गुप्ता
हाइकु
--0--
रोया व हँसा
रोया तो मुस्काया औ
हँसा तो रोया ।
कल्पनाजीवी
धरती पर खड़े
नभ निहारे ।
सत्य कड़वा
कड़वा ही रहेगा
मीठा कैसे हो !
जज़्बा या तर्क
दुनिया ज़ज्बे संग
तर्क निस्संग ।
चढ़ोगे यदि
उतरना भी होगा
जीना-मरना ।
कौन जीता है
तर्क वितर्क जंग
दोनों हारे हैं ।
मरते रहो
अमरता है जड़
जग है धारा ।
बादल छाये
शायद वर्षा होगी
कभी न होगी ।
---0---
□ ओ. पी. गुप्ता
हाँसी रोड, शिव नगर, भिवानी
(हरियाणा)
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