हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

रविवार, 30 मई 2021

~•~ हाइकु कवयित्री सुधा राठौर जी के हाइकु ~•~

हाइकु कवयित्री

सुधा राठौर 


हाइकु 

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हल की नोक

आहिस्ता, धरा बोली

हरी है कोख़ ।


सिर पे सूर्य

परछाईं दुबकी

पैरों के तले ।


छाता प्रसन्न

घूमने की आज़ादी

वर्षा आसन्न ।


धीरज छूटा

खून के आँसू रोये

पाँव के छाले ।


वक़्त न खोना

कल की खुशहाली

आज ही बोना ।


बीज आखर

भाव- भूमि में उगी

शब्द कोंपल ।


सावन झूला

झूल गया किसान

बेटी संतप्त ।


बिछी बिसात

ज़िंदगी शतरंज

शह या मात ।


गंगा कराही

पाप का विसर्जन

नहीं मनाही ।


दर्पण देखा

पढ़ लिया स्वयं को

झूठे अहं को ।


चुहिया दर्ज़ी

साड़ी से बना रही

झीनी ओढ़नी ।

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□  सुधा राठौर

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