हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

रविवार, 23 मई 2021

~•~ हाइकु कवयित्री सुधा राठौर जी के हाइकु ~•~

हाइकु कवयित्री 

सुधा राठौर 


हाइकु

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धान कुटाई

क्षुधातुर हँडिया

खिलखिलाई ।


बहा ले गई

बेमौसम बरखा

बीज के स्वप्न ।


मेघ डिठौना

बदली की गोद में

सूरज छौना ।


पिया से मिली

गोखरू सनें बाल

करें चुगली ।


मुखाग्नि नहीं

बेवारिस सी लाशें

गंगा में बहीं ।


खूँटी पे थैला

बेरोजगार बापू

दोनों ही खाली ।


मिलेगा खाना

कुर्सी का आ‌श्वासन

धूर्त बहाना ।


शिक्षा में क्रांति

यांत्रिक शिक्षा नीति

चश्मे से प्रीति


मन बेचैन

कोरोना बैरी लूटे

रिश्तों के बैन


ज़िन्दगी मेला

रीता सुख का ठेला

दुःख अकेला ।


कांटों में बिंधा

मुस्कान कहती है

ग़ुल है ज़िंदा ।


माता को खोना

दुनिया की भीड़ में

तन्हाई ढोना ।

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□  सुधा राठौर

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