हाइकुकार
निमाई प्रधान 'क्षितिज'
हाइकु
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(१)
कौआ झपटा
छत पर पापड़
ले दूर उड़ा ।
(२)
मेघ घुमड़े
दौड़ी आँगन में माँ
सूखे कपड़े ।
(३)
जेठ की धूप
महुआ चुने दादी
पास है कूप ।
(४)
कपि उछले
पेड़ों पे भगदड़
जामुन बिछे ।
(५)
माली ऊंघता
उछली गिलहरी
काजू की डाली ।
(६)
जेठ मध्याह्न
राही छाँह खोजता
आम ही आस ।
(७)
फूले सरसों
प्रिया की पीली चुन्नी
बीते बरसों ।
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~ निमाई प्रधान 'क्षितिज'
(छत्तीसगढ़)
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