हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

रविवार, 11 जुलाई 2021

~ हाइकु कवयित्री सुधा राठौर जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री

सुधा राठौर 


हाइकु 

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मुठ्ठी में रेत

वक़्त सी फितरत

खाली है हाथ ।


हिना की ज़ुबां

कुँवारी की ख़्वाहिश

सुहाग निशां ।


वामांगिनी है

दोनों भूमिका खरी

घर की धुरि ।


रस्सियां ढीलीं

मचिया का पालना

शैशव सोया ।


जोड़- घटाना

जिंदगी का गणित

अंत में शून्य ।


काग़ज़ नाव

बह गए सिद्धांत

तिनकों जैसे ।


वादों का शोर

हम हैं कमज़ोर

सौंप दी डोर ।


आत्ममुग्धता

कर्म विहीन कथ्य

कहां है सत्य ।


बताओ पार्थ

कैसे हो परमार्थ

बगैर स्वार्थ ।


उधड़े रिश्ते

रफ़ूगिरी की कला

क़ारग़र है ।


कैसा प्रारब्ध 

मिटा देता लकीरें

कर्म सक्षम ।


धैर्य का बल

चुटकी बजाते ही

समस्या हल  ।

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□  सुधा राठौर

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