हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

रविवार, 11 जुलाई 2021

दृश्य आधारित हाइकु सृजन प्रतियोगिता, जुलाई-2021

दृश्य आधारित हाइकु सृजन प्रतियोगिता

हाइकु ताँका प्रवाह

(माह - जुलाई, क्र. 15)

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चयनित प्रतिभागी 



प्रविष्टि के हाइकु


1.

अश्कों के मोती

झरे धरा की गोद

घटा बिटिया ।


~ अमिता शाह "अमी"


2

हथेली थाप

बरसात का स्पर्श

जल तरंग ।


~ शुचिता राठी


3.

अल्हड़ मन 

बरखा का नर्तन 

भीगे है तन ।


~ राजश्री राठी 


4.

मेघा बरसे

मोती से जल बिंदु

किसान हर्षे ।


~ निर्मला पांडेय


5.

बरसें मेघा

घर आ मोरे सैंया

तरसे जिया ।


~ बुद्धराजा 


6

इश्क की बूंदें

दरिया दिल झूमा

प्यार हो गया ।


~ पूनम मिश्रा पूर्णिमा 


7.

भीगे बदन

बारिश का मौसम 

क्यों बस हाथ ।


~ छाया श्रीवास्तव 


8.

नीर के मोती

सँजो लूँ अंजुरी में

गूँथ लूँ माला ।


~ मीरा जोगलेकर


9.

वर्षा की बूंद

यह जीवन दान

अमृत धार ।


~ मधु सिंघी 


10.

ये बारिश

बढ़ाती है तपिश

तप्त विशिष्ट ।


~ ए.ए.लूका


11.

मेघ प्रीतम

मही को पहनाते

बूँदों का हार ।


~ विद्या चौहान 


12

बूंदों के गीत

रोम- रोम रमती

तुम्हारी प्रीत ।


~ अल्पा जीतेश तन्ना 


13

बूंदो ने छेड़ा

तराना फुहार का

मीठी छुअन ।


~ शीला तापड़िया 


14.

झड़ी लगी है

मचलता सावन

हथेलियों पे ।


~ रमा प्रवीर वर्मा 


15

देख हथेली 

बरसा आकुल हो 

चीर मेघ मैं ।


~ रति चौबे 


16.

पी की छुअन

कराती एहसास

बैरी बरखा ।


~ सुषमा अग्रवाल


17.

हाथों  में मोती

समेंट लू अपने

मिलें जीवन ।


~ कविता कौशिक 


18.

बौछार पड़ी

तर्जनी-मध्यमा भी

थिरक उठे ।


~ रूबी दास


19.

स्वागत करे 

देता रस चौमासा 

बांहें फैलाए ।


~ हरीश रंगवानी 


20.

ठंडी फुहार

कृषक की गुहार

दर्द धो गई ।


~ अंजुलिका चावला 


21.

व्यर्थ न बहे

जल ही जीवन है 

आओ सहेजें ।


~ सुधा राठौर 


22.

ये रिमझिम

देती जन जीवन

मयूर मन ।


~ गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"

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