हाइकु कवयित्री
विद्या चौहान
हाइकु
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भीगी है भोर
हौले से कल रात
बरखा आयी ।
💧💧💧
धरती माई
बूँदों की अठखेली
गोद मुस्काई ।
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टहनी झूला
जलबिंदु सखियाँ
कजरी गायीं ।
💧💧💧
सुमन स्पर्श
पलकों पे बैठाती
बूँद हर्षायी ।
💧💧💧
सूनी अटारी
बूँदों ने महफ़िल
आज जमायी ।
💧💧💧
धूसर धरा
बरखा रंगरेज़
करे पुताई ।
💧💧💧
ले शुचि बूँदें
मही का अभिषेक
करे आषाढ़ ।
💧💧💧
वर्षा भ्रमण
कृषक के हृदय
आस बो आयी ।
💧💧💧
~ विद्या चौहान
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