हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

शुक्रवार, 18 मार्च 2022

हाइकु कवयित्री शर्मिला चौहान जी द्वारा रचित होरी के छत्तीसगढ़ी हाइकु

हाइकु कवयित्री 

शर्मिला चौहान 

होरी के हाइकु

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आगी लग गे

फागुन तिहार में

टेसू फूल गे ।

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संझा बिहान

बाजथे मन भर

ढोल नगाड़ा ।

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फाग सुनाथे

आनी बानी के संगी

जी हा लुटा गे ।

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रद्दा देखत

बीत गिस महीना

नैना पीरा गे ।

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नैना ढूँढथे

सुंदर मोर संगी

कहांँ लुका गे ।

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होली खेलथों

संगवारी के संग

नथ गवाँ गे ।

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संगी के संग

चारों डहर रंग

मन रंगा गे ।

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~ शर्मिला चौहान

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