छत्तीसगढ़ी
सरगुजिया हाइकु : पद्मनाभ गौतम
हाइकु
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फर्रा गे घाम
कोइली हर बोलै
पाके गा आम ।
खाई त्यौहार
आवय त लचके
तेंदू के डार ।
ठण्डा गे फाग
आवत हावे संगी
चैती के आग ।
मांदर बाजै
गँउहा देवल्ला के
सइला नाचै ।
सूवा के गीत
मोर मन के पीर
खोजा रे मीत ।
बंसी के तान
मन ला बसियाये
झूमै परान ।
~ पद्मनाभ गौतम
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