हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

मंगलवार, 22 मार्च 2022

हाइकु कवयित्री डॉ. करुणा उमरे जी के उत्कृष्ट हाइकु

हाइकु कवयित्री 

डॉ. करुणा उमरे (स्व.)

हाइकु 

1.

तीन नयन

सूर्य चंद्र यमुना 

शमन मन ।


2.

धर्म नहीं है 

समय को गिनना

किंतु तौलना ।


3.

बौर पराग

अधरों में फागुन 

गीत सा जाग ।


4.

भोर तपी है 

शान्ति हेतु हवा ने 

माला जपी है ।


5.

गगन लोक

किरणों को पा कर

होता अशोक ।


6.

मधुर गंध

खिल उठा ज्यों यह

धरती मुख ।


7.

नभ आँचल 

स्वर्ण कलश सम

दिखे प्रांजल ।


8.

हवा धड़की 

पेड़ बन गई है 

एक लड़की ।


9.

मौसम आए

आँखों की पुतली में 

गुलाब छाए ।


10.

पल में रेत 

ढहे घरौंदा जब

देता है खेद ।


~ डॉ. करुणा उमरे

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